सीरत
सीरत
मोहब्बत में वो
कुछ इस क़दर
धोखा देता रहा
मेरी हर कोशिश को वो
तग़ाफुल करता रहा।
वो इस मुग़ालते में
जीता रहा कि यूँ ही
तड़पता देखेगा मुझे
और सुकूँ पाएगा मगर
दूर जाते हुए उससे
न मुझे कोई गिला न ग़म हुआ
आशुफ़्ता हो उठा वो
उस पल से जब
शम-ए-फ़रोज़ा सी
उसने मेरी सीरत देखी
और मुझे यूँ ख़ुद से
दूर जाता हुआ।