जिंदगी
जिंदगी
मुझसे खफ़ा हो गयी
तुझसे शुरु तुझपे ही खत्म हो गयी
तुझसे मिलने से पहले
क्या थी अब क्या से क्या हो गयी
एक पत्थर की मूरत
जिस्म था पर बेजान सी थी
दिल गया था भूल धड़कना
बस गिरता था तो आँख से पानी
सून के आहट तेरे कदमों की
थम गया आँख से बहता पानी
जब से देखा है तुझको
दिल लगा है फिर से धड़कने को
जो छुआ तूने ऐसे
बढ़ गयी हो जीने की तमन्ना जैसे
तुम करीब आये हो ऐसे
लगने लगे हो अपने जैसे
प्यार का दीप जलाया
तुमने इस बेजान से दिल मे
बुन रही थी जो मैं सपने
टूट गये वो सच होने से पहले
जो गये हो तुम ऐसे
कर गये बेजान जिस्म फिर से
ना रहा अब बहता पानी
हो गयी खत्म मेरी कहानी
मुझसे खफ़ा हो गयी
तुझसे शुरु तुझपे ही खत्म हो गयी...