बिना समझे तुझे हार गया
बिना समझे तुझे हार गया
कुसूरवार हूँ तेरा
जो बिना समझे तुझे हार गया
खो गया इस कदर की खुद को यूं वार दिया
ना सोचा क्या होगा हशर
बिना समझे तुझे हार गया...
गहराइ थी आंखों में जो देखते ही डूब गया
ना आसरा मिला तिनके का ना सहारा
कोशिश तो बहुत की मगर
बिना समझे तुझे हार गया...
खो गया यू बातों में ऐसे
उलझ गया जंजीरों में जैसे
लगा लिया चाहे जितना जोर
उतनी ही कस्ती गई डोर
चाहने पे ना रहा बस मेरा
ऐसा हुआ कुछ असर
जो बिना समझे तुझे हार गया...
हो गई फिर आंखें चार
लो गया मैं तुझे हार
समझ ना पाया था वो एक मायाजाल
जिसमें गया था मैं तुझे हार...
ना होता दर्द का एहसास
जब तक ना आजमा लो खुद पर
जो एक बार आजमा लेते
ना पड़ती उसको बयान करने की जरूरत
बस चेहरे से होती जाहिर उसकी हकीकत...
समझाना चाहा खुद को कई बार
ना कर खुद को यू बेहाल
टूट कर बिखर ना ही था
सो गया था बिना समझे तुझे हार...
आजमाइश से मिली सीख है
ना करुंगा वो ही गलती बार बार
ना हारूंगा फिर से तुझे यार
जख्म भरने में लगते सालों साल
फिर भी तुझसे है दरख्वास्त
ए 'दिल' कर दे मुझे माफ
बिना समझे ना हारुंगा तुझे इस बार !!