रिश्ता
रिश्ता


रिश्ते में वो साली थी
बड़ी मन की काली थी।
नागिन सी डसती थी डस कर
मुझको मन ही मन हँसती थी
सुबह-सुबह मन्दिर जाती फिर
दिन भर सबकी निन्दा
करके पाप कमाती
रोज सबेरे नया खोजती
खोजकर उसको बहन को देती
फिर मेरे घर झगड़ा होता
साली का मकसद पूरा होता।