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pritam paul

Abstract Drama Inspirational

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pritam paul

Abstract Drama Inspirational

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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ज़िन्दगी बहुत प्यारी सी है; भोली सी है

मगर कम्भख्त बेहद छोटी सी है ।

फुर्सत है ही नहीं रूठने का रूठो को मनाने का ।

रूठने का मतलब है उन कीमती पलो की बर्बादी;

वो पल जो किसीको हसाते प्यार करते सहलाते

एक मीठी सी याद बनाते गुज़ार सकते थे ।

क्या सोचके कोई रूठ जाता है फेर लेता है मुँह

दूर चला जाता है किसीसे ?

घमंड ज़िद दंभ अंहकार अभिमान दर्प मद

कौनसा कारण हैं इनमे जो ख़ुशी से भी कीमती हैं ?

कब समझेंगे हम की कितना नश्वर है ये जीवन !

जो पल इस पल “है” वो अगले ही पल “था” बन जायेगा ।

वो पल जो “था” बन चूका वो लौटके कभी नहीं आएगा ।

क्या रखा हैं रूठने मैं कैसी जीत है दूर जाने मैं ।

जाना तो सबको एकदिन हैं ही; कौनसा यहां हमेशा रहना हैं

लेकिन जाने से पहले दुनिया को थोड़ा और बेहतर छोरके जाना हैं।

चंद लम्हे हसीं के; कुछ पल खुशी के हमें बनानी हैं;

बहुत सारी यादें छोड़ के जानी हैं जिन्हे सबको बाद मैं हसानी हैं ।

रोने के लिए ज़िन्दगी के बाद काफी वख्त मिलेगा

हंसने का मौका बार बार दस्तक देके कभी नहीं आएगा ।

इसीलिए हसो; मुस्कुराओ; खुश रहो; प्यार करो; मोहब्बत बाटों;

क्यूंकि क्या पता अगला “पल” तुम्हारा हो या न हो ।


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