दोस्त
दोस्त
ज़िन्दगी के रास्ते मे लोग बहुत मिलते है,
कुछ थोड़ी दूर चलते है,
फिर मुँह मोड़ लेते है।
कुछ देते है साथ, थोड़ी दूर और -
अरे ये ख़ुशियाँ जो बाँट लेते है।
सच्चा साथी वो जो ग़म का सहारा बन सके |
बहते आंसूओं को मोतिओं का हार बना सके।
भटके हुए राही को सही रास्ता दिखा सके |
और - अपनी ख़ुशी बाँटके दोस्त को हसी दे सके |
अजी दोस्त तो आजकल दुकानों में भी बिकते है।
सही बोली लगाने पे कुछ भी कर सकते हैं |
कभी हमसे सच्ची दोस्ती करके तो देखिये,
ज़माने के खिलाफ - आपक साथ,
खरे हम ज़रूर मिलेंगे ।