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Mayank Kumar

Abstract Drama Tragedy

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Mayank Kumar

Abstract Drama Tragedy

फिर कोई सितारा खो गया

फिर कोई सितारा खो गया

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उस नदी में भी एक दुनिया थी,

जो आकर्षित करती थी खुद में

उस अबूझ धुँधली आंखों को,

जो थक गया था खाली पन्नों से...

जहाँ जो लिखता था वह,

अनगिनत सफल किरदारों को

अनगिनत ख्वाबों से अपने...

उसे कोई मिटाता रहता था हर वक़्त,

हर सफर में...

आखिर वह करता भी क्या,

उस नदी का होकर...!


जो ठुकराता रहता था उसे हर पल...

उसने छोड़ा उस नदी का आस,

जो पहुँचा सकता था उसे,

उस समंदर के घर...

उसने बादलों को आवाज़ लगाई,

जो दिखाता था खुला अंबर...

आखिर नदी, समंदर ये सब कभी तो,

थक हार कर अकेले होंगे खुद से,

जब वह अंबर की ओर चलेंगे...

तब शायद इन सभी का इंसाफ

करेंगे वे सब...


जो बेवक़्त खो गए थे वहाँ से,

जहाँ पर एक अम्बर को झुकाना था !

जो ख़्वाब को सच करने आए थे,

छोटे शहरों से बड़ी इमारतों वाली शहर में...

कई किरदारों को रंग - रूप देने,

उन किरदारों से छोटे शहरों को

पहचान दिलाने...

जिसे कभी, ये नदी, समंदर सा

बड़ी इमारतों वाली शहर के,

कुछ सुल्तानों ने ठुकराया था...!!



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