हम तेरे से खफा है
हम तेरे से खफा है
वजह है हमारी जान के क्या करोगे तुम,
हमारे दर्द को कैसे सहारोगे तुम।
हमारे वक्त का तेरे लिये कोई मुल्य नहीं,
क्योंकि वक्त की तन्हाईयाँ तुम्हें रुलाती नहीं।
इसलिए खफा है हम तेरे से।।
हमारी बातों से तेरा दिल झुमता नहीं,
क्योंकि बातों की गेहराईयों तक तुम
कभी पहुंचते ही नहीं।
हमारे समझाने से मानते नहीं हो तुम,
क्योंकि हमारी इस समझ की पंक्तियों को
चिल्लाना समझते हो तुम।
इसलिए खफा है हम तेरे से।।
हमारे साथ एक राह पे चलते नहीं हो तुम,
हमारे साथ की पुकार को अलग अलग
कश्तीयों में क्यों बैठाते हो तुम।
हमारी तकलिफों के आँसू कभी सताते नहीं तुम्हें,
हमारी परेशानियों की झनकार क्यूँ दिखती नहीं तुम्हें।
इसलिए खफा है हम तेरे से।।
हमारी ग़लतियों को कभी नज़रअंदाज़
क्यो करते नहीं हो तुम ,
फूलों की तरह हमारी उम्मीदों को
मौका कभी देते क्यूँ नहीं हो तुम।
हमारे सवालों का जवाब दे नहीं पाते हो तुम,
हर रास्ते के मोड़ कि तरह हमारे जज्बातों से
उलझते क्यो हो तुम।
इसलिए खफा है हम तेरे से।।
आखिर में जब हारते चले जाते है हम,
तब इस नाराजीयों के गुलदस्ते को फेंक कर
मुस्कुराहट ले आते हो तुम ,
क्योंकि हमारा इम्तिहान लेना तो तुम्हारी फितरत है
और कागज़ की नाव कि तरह तो हमारी शिकायतें है।।

