हौसला संभलने का......
हौसला संभलने का......
तू कदम बढ़ा तेरा वक़्त बदल जाएगा,
तू हौसला तो दिखा, तू फ़िर से सम्भल जाएगा।
जिन ज़ख्मों को नासूर बनाया है तूने मुद्दतों से कई,
जो बंदिशें लगा रखी थी खुद पे ज़मानों से कई,
तोड़ के उन जज़्बातों के बंधनों को तू अब बढ़ चल,
छोड़ दे घुटती हुई दुनिया की इमारतों को तू अब बढ़ चल।
तू ठहर.. सम्भल और ज़रा कोशिश तो कर
तेरे तप की ज्वाला से पर्वत का गुरूर भी पिघल जाएगा।
तू विश्वास की एक साँस तो भर,
तू खुद को फिर से खड़ा पाएगा।
तू कदम बढ़ा तेरा वक़्त बदल जाएगा
तू हौसला तो दिखा, तू फ़िर से सम्भल जाएगा।