रुकती बातें कहती बातें
रुकती बातें कहती बातें
कुछ बातें कहते कहते रुक जाती है
उनको शायद अंदाजा होता है की
अगर वह न रुकेगी तो बवंडर आ
जायेगा
दुनिया इधर से उधर होगी
इसलिए दुनिया की बेहतरी में
वह रुक जाती है
लेकिन वह भूल जाती है की
कहने वाले की नज़रों ने बड़ी
खामोशी से इशारा कर दिया है
वे इशारे कम ताक़तवर नही होते
वे अपनी ताक़त को खामोशी से
कलम को हथियार बना लेते है
कलम अपना इस्तेमाल करना
बखूबी जानती है
जो भी चीज मयस्सर होती है
उसपर वह लिखती जाती है
चाहे कागज़ का टुकड़ा ही क्यों न हो
जब कागज़ का वह टुकड़ा
अख़बार की सुर्खियों में छा जाता है
और उसका असर ऊँची लहरों वाले
समंदर और ज़मीं हर जगह
नज़र आने लगता है
वह अवाम की नस नस में बस जाता है
जो बातें रुक सी गयी थी
उनका वजूद दिखने लगता है
बातें तो बातें होती है
सदियों तक असर करती है....
