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Anil Chandak

Drama

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Anil Chandak

Drama

रिश्तेदार

रिश्तेदार

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जन्म से ही जुड़ते हैं,

रिश्तो की पोटली में,

ऐसे बंधन आसानी से नहीं छूटते !

पहले तो वो, देखने आते हैं,

फिर हमारे छटी पर !


कोई भी फंक्शन हो, छोटा या बड़ा,

इन की हाजिरी रहती है,

कुछ न कुछ ,सुझाव रहते हैं !

उपर उपर से, मिठा बोलते हैं,

दिल की गहराई को छू जाते हैं !

पीठ फेरते ही,असली सिंग निकालते हैं !

हमे उल्लु बनाकर,आपस में हँसते है !


हर समय पैर खिंचने में,लालायित रहते हैं !

खाने के बुलावे पर,न भुलते हुए आते हैं !

फिर भरे पेट से ढेकर देकर,

खामिया निकालते हैं !


शादी और सम्बन्ध में, इन की

चांदी होती है!

बात बात,मानपान पे ,रूसवाई

 और सुनवाई होती है !

बनी बनायी बात,बिगडी बनाते है !

छोटी छोटी बात लेकर बैठते है !


आदमी कितना ही बड़ा क्यूँ ना हो,

उस को बौना बना देते है!

मुसीबत के समय पे, आँख चुराकर भागते हैं !

जैसा चुहा बिल्ली, देखकर भागता है !

एक भी काम नही आता है!

उसने किया ,उस की अक्ल से,

हमारा क्या लेना देना उस से,

यही उन की सोच होती है !


जमीन जायदाद,या धंधा हो,

पैसा हो या वान्दा हो,

इन की पैनी नजर,हर खबर पर होती है !

हमारी प्रगती से,जलते है,

जल जलकर कोयला होता है

जलन तप्तीश से अंगार सुलगता है !

कोई अकेली बेसहारा अबला हो तो,

इन की नजर,ललचाई होती है,

वासना से अन्धी होती है !


आखरी वक्त में ,इनका ताँता लगा लगता है !

ज़िन्दगी भर मरा,असल में,

कब मरता है !

इस की आस, लगाये बैठता है !

मरने के बाद, इन की हाजिरी होती है !

घरवालों पर उन की, हुकमत चलती है !

आदमी इनके सुनने पर,सब कुछ करता है !

फिर भी इन की, जिल्लते सहन करता है !

जब इन का मतलब, साध्य नही होता है,

मौका परस्ती से, दुम निकाल के खिसकते है !


"शायर अनिल" के खयाल से,

ये रिश्तेदारी दो धारी तलवार है !

दुश्मनी से चलाये, तो वार है !

प्यार से चलाये तो, पहरेदार है !


रिश्ते की ये पोटली, हम सब को,

एक धागे में पिरोजती है !

आपसी प्यार में डुबी,

जिन्दादिली अपनीयत,

जिन्दगी जीने का अन्दाज है !


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