रिश्तेदार
रिश्तेदार
जन्म से ही जुड़ते हैं,
रिश्तो की पोटली में,
ऐसे बंधन आसानी से नहीं छूटते !
पहले तो वो, देखने आते हैं,
फिर हमारे छटी पर !
कोई भी फंक्शन हो, छोटा या बड़ा,
इन की हाजिरी रहती है,
कुछ न कुछ ,सुझाव रहते हैं !
उपर उपर से, मिठा बोलते हैं,
दिल की गहराई को छू जाते हैं !
पीठ फेरते ही,असली सिंग निकालते हैं !
हमे उल्लु बनाकर,आपस में हँसते है !
हर समय पैर खिंचने में,लालायित रहते हैं !
खाने के बुलावे पर,न भुलते हुए आते हैं !
फिर भरे पेट से ढेकर देकर,
खामिया निकालते हैं !
शादी और सम्बन्ध में, इन की
चांदी होती है!
बात बात,मानपान पे ,रूसवाई
और सुनवाई होती है !
बनी बनायी बात,बिगडी बनाते है !
छोटी छोटी बात लेकर बैठते है !
आदमी कितना ही बड़ा क्यूँ ना हो,
उस को बौना बना देते है!
मुसीबत के समय पे, आँख चुराकर भागते हैं !
जैसा चुहा बिल्ली, देखकर भागता है !
एक भी काम नही आता है!
उसने किया ,उस की अक्ल से,
हमारा क्या लेना देना उस से,
यही उन की सोच होती है !
जमीन जायदाद,या धंधा हो,
पैसा हो या वान्दा हो,
इन की पैनी नजर,हर खबर पर होती है !
हमारी प्रगती से,जलते है,
जल जलकर कोयला होता है
जलन तप्तीश से अंगार सुलगता है !
कोई अकेली बेसहारा अबला हो तो,
इन की नजर,ललचाई होती है,
वासना से अन्धी होती है !
आखरी वक्त में ,इनका ताँता लगा लगता है !
ज़िन्दगी भर मरा,असल में,
कब मरता है !
इस की आस, लगाये बैठता है !
मरने के बाद, इन की हाजिरी होती है !
घरवालों पर उन की, हुकमत चलती है !
आदमी इनके सुनने पर,सब कुछ करता है !
फिर भी इन की, जिल्लते सहन करता है !
जब इन का मतलब, साध्य नही होता है,
मौका परस्ती से, दुम निकाल के खिसकते है !
"शायर अनिल" के खयाल से,
ये रिश्तेदारी दो धारी तलवार है !
दुश्मनी से चलाये, तो वार है !
प्यार से चलाये तो, पहरेदार है !
रिश्ते की ये पोटली, हम सब को,
एक धागे में पिरोजती है !
आपसी प्यार में डुबी,
जिन्दादिली अपनीयत,
जिन्दगी जीने का अन्दाज है !
