वादियां बुला रही है।
वादियां बुला रही है।
आपाधापी के जीवन में
कंक्रीट के जंगल से धुर
बनावट चीजों, रिश्तों से पर
अपनत्व का एहसास करा रही है
यह वादियां बुला रही है।
सब कुछ पाने की होड़ में
बहुत कुछ भूल गए है।
शीतल ठंडी हवाएँ, फूलो की महक
कल कल करती नदियां, हरी चुनर ओढ़े
हर तरफ से वादियां बुला रही है।
प्रकृति के साथ, स्वस्थ रहेंगे मस्त रहेंगे
रिश्तों में अपना तो भरेंगे
ईश्वर को करेंगे महसूस
मुफ्त की चीजें ही अनमोल बता रहे हैं
ये वादियां बुला रही है, वादियां बुला रही है।