ग़ज़ब करते हो यार
ग़ज़ब करते हो यार
प्यार की जुस्तजू में निकला इस बार।
मैंने दर दर की ठोकरें खायीं हैं हज़ार।
आख़िर मिल ही गया, मुझे मेरा प्यार।
मगर इक़रार नहीं, ग़ज़ब करते हो यार।
तुम हमसे मोहब्बत करते हो बेशुमार।
हम से शरारत भी करते हो बार बार।
बोलने के बहाने अजब करते हो हज़ार।
वाह रे, तुम भी क्या ग़ज़ब करते हो यार।
तुम चुप रहकर बिन बोले करते हो इक़रार।
हमसे मिलने के बहाने भी करते हो हर बार।
हमारा दूर चले जाना भी करते हो नागवार।
फिर भी क्यूं न बोलकर ग़ज़ब करते हो यार।