फटी जेब के बादशाह
फटी जेब के बादशाह
फटी जेब से, हम बाजारों में घूमते हैं !
अक्ल का इस्तेमाल कर के,
मनचाहे वो खरीदते हैं !
जब तक होता है माल ,
बादशाहत होती हमारी,
तब तक रहता है हमारा तल।
हम नहीं देखते, हमारी औकात क्या है,
पर बीबी जब फरमाये,
फरमाईश पूरी करते हैं ।।
हम नहीं समझ पाते,
ज़ीरो परसेंट ब्याज क्या है,
पर इ एम आय पर वस्तु ले घर आते हैं ,
और हप्ते चुकाते,जान लटक जाती है।
सिरीयल में गुँगी होती ये गुड़िया,
बीच बीच में अँडव्हर्टाईज भी देखती है।
बजार में नयी नयी टेक्नोलॉजी,
कि इन को कानो खबर होती है!
किटी पार्टी में शान से,
शाँपिंग की बढा़ चढा़कर, खबर होती !
ईर्षा से फूली सहेलियां देखकर,
इन के मन को सन्तुष्टी होती है ।
हमारी मध्यमवर्गीय धारणा,
हमे समझाती रहती है!
पर घर में शान्ति रखने हेतु,
आहुती हमारी होती है ।
लो बजेट के कारण,
कई बार चीजें खरीद भी नहीं सकते हैं
कभी मेहमानो का झुँड आते जाते,रहता है !
मेरे परिवार के आ जाये तो,
बरतन की आवाजे बढ़ती हैं,
और मैके की आजाये तो,
मीठी बोली चलती है।
पहले के कई सारे बिल,
वो दूधवाले का,
लाँड्रीवालेका,बिजलीवाला,
किराने माल का लाला,
कामवाली बाई का तो बड़ा ,
अहम होता है !
अगर बीबी को दो दिन भी,ये
काम करने की नौबत आये तो,
घर में रहना मुश्किल होता है !
हमारी नाकाबालियत की ,
कँसेट सुनना पड़ता है !
बात बात में झगडा़,रोना धोना होता है ।
आज के जमाने में,
कमाई और खर्चे का गणित,
बार बार टूटता रहता है !
आज खरीदने की बात,
परसो तरसो पर पड़ती है !
पता नही चलता,कब वो ध्यान से छूटती है
समझा नहीं हमने कभी,
कैसे दोस्तों तक ये बात पहुँचती है !
हमारी बिगडी़ बात,हमे बार बार,
नीचा दिखाती है ।
कभी कभी,घर आये मेहमानों को,
शान से एक एक चीज दिखाते हैं।
पर उस में गलती निकाल के वो,
हमे घायल सा कर देते हैं !
हम रूआँसे हो जाते,चेहरे की,
रौनक चली जाती है,
पर फटी जेब के कारण,
चुप रहना हमको पड़ता है ।
दूसरों की बडी़ बड़ी बातेंं सुनकर,
हमारा भी मन होता है,
लाचारी का एक कदम,
हम को पीछे ढकलता है।
र की और बच्चों की ज़रूरतें ,
सब से अहम होती हैं !
गाड़ी ,बंगला और टूर के सपने,
हवा में गुल हो जाते हैं।
पिछले जन्म में जरूर बुरे
कर्म किये होंगे,ऐसा रोना धोना होता है,
बीबी का ताना होता है।
बार बार के झगडे़ से,
मैके के रस्ते जाना होता हो।
भगवान चाहे तो,
इस जिन्दगी से उठा ले,
पर ,कभी किसी को फटी जेब ना दे।