राष्ट्र के उत्थान में
राष्ट्र के उत्थान में
राष्ट्र के उत्थान में,
मिल के चलें,बढ के चलें!
बाँहों में बाँहे डाल के,
हँस के चलें,खिल के चलें!
अब ना कोई पीछे रहे,
पीछे देखे कोई ना मुड़ के!
इस वतन के निर्माण में,
बाँहों में बाँहें डाल के !
ना जात पात का बन्धन रहे,
ना संघर्ष रहे यहाँ धर्म के !
इस राष्ट्र की धारा बनाएं
दिल से दिल को जोड़ के !
अब ना कहीं अन्याय हो,
कानून का हो राज बलबूते इन्साफ के!
हो भाईचारा , हम निवाला,
मन से मन को जोड़ के !!
अब हो कोई डर नहीं ,
सर ना झुकाये आगे किसी के!
तिरंगे की गरिमा उज्जल बनाये ,
रख्खेंगे हम सम्भाल के!
