पहचान
पहचान
है कोई शख्स जो मुझे
मेरी पहचान लौटा दे
हम तो बरसो से आईने में
खुद को ढूंढे जा रहे है
हमने तो अपने आस पास
खयालों की दुनिया बसाई थी
हकीकत का सामना होते ही
मानो मुट्ठी से रेत से फिसल गई
आजमा ले प्रभु बेशक तू मुझे
हम तेरी परीक्षा में खरे उतरेंगे
जज्बातों को सीढ़ी बनाकर अब
नई दुनिया का नया सूरज देखेंगे।।