Amit Singhal "Aseemit"
Abstract Drama Tragedy
धुंध बुन रही है, कुछ ख़्वाब, कुछ ख़्याल,
जो भुला चुके कोई, वह याद सता रही है।
धुंध भी जो जम चुकी थी, जिन यादों पर,
क्यों उड़ कर, उन यादों को बता रही है।
कि आ जाओ फिर से ज़हन में मेरे और,
रुसवा करो मुझे, मेरी कोई ख़ता रही है।
पैग़ाम
दर्द भी वही द...
पूर्णविराम
पापी
काला साया
एक चाँद और
तुम चुनो
जब तुम लिखती ...
उसका नाम
कोई फ़र्क नहीं
उसकी माँ उसे दूध नहीं पिलाएगी उसकी माँ उसे दूध नहीं पिलाएगी
क्योंकि अब तो हम सबके प्रभु श्रीराम जी अपने राजसिंहासन पर आ गए हैं। क्योंकि अब तो हम सबके प्रभु श्रीराम जी अपने राजसिंहासन पर आ गए हैं।
जी हां हम को भी हो गया है इस डिजिटल से प्यार दुनिया भले आभासी हो। जी हां हम को भी हो गया है इस डिजिटल से प्यार दुनिया भले आभासी हो।
वह परमवीर रानी लक्ष्मीबाई वीर महान अद्भुत है जिसका ज्ञान वीर महान वीर महान।।।। वह परमवीर रानी लक्ष्मीबाई वीर महान अद्भुत है जिसका ज्ञान वीर महान वीर महान...
इंसान चला जाता है समय बीतता है इंसान चले जाते है रह जाती है सिर्फ़ यादें इंसान चला जाता है समय बीतता है इंसान चले जाते है रह जाती है सिर्फ़ यादें
प्रभु चरणों में शरणागत होकर कर हर जन के जीवन की इच्छा हो। प्रभु चरणों में शरणागत होकर कर हर जन के जीवन की इच्छा हो।
दिल पर भी कहर ढाया था... जब मौसम राहत का आया , दिल पर भी कहर ढाया था... जब मौसम राहत का आया ,
चहूँ ओर गीत भजन कीर्तन, साथ ढोल नगाड़े बाजे। चहूँ ओर गीत भजन कीर्तन, साथ ढोल नगाड़े बाजे।
करीब कौन यहाँ देखना चाहा, लहरों के करीब चट्टानें पाया।। करीब कौन यहाँ देखना चाहा, लहरों के करीब चट्टानें पाया।।
दीया बाती सा हमारा रिश्ता पास पास होकर भी दूर दूर ही रहेंगे, दीया बाती सा हमारा रिश्ता पास पास होकर भी दूर दूर ही रहेंगे,
उसकी दोस्ती उससे रिश्ता हमको सच्चा लगता है, उसकी दोस्ती उससे रिश्ता हमको सच्चा लगता है,
कर्मों का फल चुकाना ही पड़ता है। कर्मों का फल चुकाना ही पड़ता है।
जीवंत है लेकिन है शास्वत और सार्वभौमिक। जीवंत है लेकिन है शास्वत और सार्वभौमिक।
सलामत रहे हमेशा, यह संविधान हमारा यहाँ।। गणतंत्र की रक्षा के लिए, कौमी एकता हम बढ़ाये। सलामत रहे हमेशा, यह संविधान हमारा यहाँ।। गणतंत्र की रक्षा के लिए, कौमी एकता ह...
दुश्मनी अपनो से निभाना भी सही नहीं होता। दुश्मनी अपनो से निभाना भी सही नहीं होता।
हर विमा पर बट चुके, और कितना बँटोगे? हर विमा पर बट चुके, और कितना बँटोगे?
लिखने बैठते है तो दूसरे दोस्त नाराज़ हो जाते है, लिखने बैठते है तो दूसरे दोस्त नाराज़ हो जाते है,
मेरा अस्तित्व नहीं कोई, फिर कौन हूं मैं इस धरती पर? मेरा अस्तित्व नहीं कोई, फिर कौन हूं मैं इस धरती पर?
युवा शक्ति को जोड़ उन्होंने पुनर्निर्माण किया युवा शक्ति को जोड़ उन्होंने पुनर्निर्माण किया
ऐ जिंदगी ! थोड़ी देर तू जरा और ठहर जा.... ऐ जिंदगी ! थोड़ी देर तू जरा और ठहर जा....