आरजू
आरजू
दिल की आरजू थी
कोई दिलरुबा मिले
अब तक तो जो भी मिले
सबके सब बेवफा मिले
हम करते रहे वफा हर पल
हम तरसते रहे बांहों को उनकी
पर वो हर पल किसी
और की बांहों में मिले
धोखे बाज कह देते उन्हें
पर कभी ऐसे शब्द ना मिले
बेआबरू हो कर जब जब हम
उनके गलियों से गुजरे उनके
चाहने वाले हमें हर घर में मिले
सब तो थे उसको चाहने वाले
एक हम ही थे जो उसकी लिस्ट में ना मिले।।