व्यथा
व्यथा
मैं हूँ एक PRIVATE
SCHOOL TEACHER,
मेरी व्यथा निराली है,
चाह तो है ढेरों पकवान की,
पर आगे थाली खाली है।
परिश्रम बहुत किया है मैंने,
DEGREE भी ढेरों कमाई है,
पर सैलरी की जो बात करें,
तो कुछ PEANUTS हिस्से आई है।
GOVT. SCHOOL की बात करें
तो PEON भी हमसे ज्यादा पाता है,
GOVT. TEACHER हर रोज़ वंहा,
कुर्सी तोड़कर जाता है।
सारे इंस्पेक्शन हमारे यहां
हर बात की मनाही है
और GOVT SCHOOL की खिचड़ी तक,
हज्म करने में सब भाई – भाई हैं।
PRIVATE SCHOOL के MEETINGS के,
अंदाज़ भी बड़े निराले हैं,
टीचर्स IMPROVEMENT की ही
सब बातें करने वाले हैं।
गलती से ! एक दिन मैंने पूछ लिया,
इस साल की INCREMENT कहाँ है भाई,
तो मुझे अगले ANNUAL FUNCTION
PERFORMANCE पे,
DEPEND की बात बताई।
सुनकर मैंने झटका खाया,
पिछला सेशन दिमाग में आया
सोचा मैंने यूँही TEACHING I
MPROVEMENT पे,
बेमतलब जान जलाई है
ये INCREMENT तो केवल,
ANNUAL FUNCTION
के हिस्से आई है।