Nishi Singh

Comedy

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Nishi Singh

Comedy

व्यथा

व्यथा

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मैं हूँ एक PRIVATE

SCHOOL TEACHER,

मेरी व्यथा निराली है,

चाह तो है ढेरों पकवान की,

पर आगे थाली खाली है।


परिश्रम बहुत किया है मैंने,

DEGREE भी ढेरों कमाई है,

पर सैलरी की जो बात करें,

तो कुछ PEANUTS हिस्से आई है।


GOVT. SCHOOL की बात करें

तो PEON भी हमसे ज्यादा पाता है,

GOVT. TEACHER हर रोज़ वंहा,

कुर्सी तोड़कर जाता है।


सारे इंस्पेक्शन हमारे यहां

हर बात की मनाही है

और GOVT SCHOOL की खिचड़ी तक,

हज्म करने में सब भाई – भाई हैं।


PRIVATE SCHOOL के MEETINGS के,

अंदाज़ भी बड़े निराले हैं,

टीचर्स IMPROVEMENT की ही

 सब बातें करने वाले हैं।


गलती से ! एक दिन मैंने पूछ लिया,

इस साल की INCREMENT कहाँ है भाई,

तो मुझे अगले ANNUAL FUNCTION

PERFORMANCE पे,

DEPEND की बात बताई।


सुनकर मैंने झटका खाया,

पिछला सेशन दिमाग में आया

सोचा मैंने यूँही TEACHING I

MPROVEMENT पे,

बेमतलब जान जलाई है

ये INCREMENT तो केवल,

ANNUAL FUNCTION

के हिस्से आई है।


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