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Nishi Singh

Romance

3  

Nishi Singh

Romance

इन्तजार

इन्तजार

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समझे थे दूर तुमसे निकल जाएँगे कहीं,

देखा तो हर मकाम तेरे राहगुजर में है।

तुम्हारे साथ गुजारा हर एक पहलू,

आज भी मेरी झुकी नज़र में है।


सोचे थे कैद कर देंगे तेरी याद कहीं,

देखा तो मेरी हर साँस तेरी क़हर में है।

तुम्हारे साँस की भीनी खुश्बू

आज भी मेरी धड़कन की लहर में है।


यूँ तो हार चले हम सब कुछ,

बस एक आस लिए बैठे हैं।

शायद वो पल तुम्हें भी याद आयें,

तुम्हारे मन के भी कुछ तार झनझनाएँ।


जाने वो दिन कब आयेंगे ?

जब हमारे सपने मुस्कुराएँगे।


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