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Nishi Singh

Tragedy

3  

Nishi Singh

Tragedy

ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग

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दहक़ रही है धरती,

बढ़ रहा तापमान है।

ज्वाला सी गर्म लपटें,

बरसा रहा आसमान है।


पिघल रही है बर्फ़ की चोटी,

समतल भूमी होती जा रही छोटी।

अगर अब भी हम न सम्भले,

तो मचने वाला हाहाकार है।


हमारी सारी सुख सुविधाएँ,

हमें निगलने को तैयार हैं।

अच्छा हो थोड़ा, रुक जाएँ अगर हम,

अपने वातावरण पर तरस खाए हम।


नहीं तो आगे की हमारी

सारी कोशिश बेकार है,

आज न कल

डूबने वाला ये संसार है।


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