द्वार खड़ी माँ अब आरती उतारती, वीर बढ़ो माँ अब नित हैं पुकारती। द्वार खड़ी माँ अब आरती उतारती, वीर बढ़ो माँ अब नित हैं पुकारती।
बड़ा ही काला दिन था वह उस दिन भी थी बैसाखी। बड़ा ही काला दिन था वह उस दिन भी थी बैसाखी।