काहे को जीएसटी लगाई
काहे को जीएसटी लगाई
(धुन :दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई काहे को दुनिया बनाई । फिल्म :तीसरी कसम)
सरकार बनाने वाले, क्या तेरे मन में समाई,
काहे को जीएसटी लगाई , तूने काहे को जीएसटी लगाई।
एक बार जो सुबह सवेरे,
दुकान पर देखे लटके चेहरे,
कारण पूछा तो दुकानदार गुर्राया,
इस जीएसटी ने मेरा ग्राहक छुड़ाया,
महंगाई बढ़ती जाए घटती जाए फिर कमाई।
काहे को जीएसटी लगाई, तूने काहे को जीएसटी लगाई।
बांका जवान एक दुकान पर आया,
सर अपना पकड़कर 'नवरत्न' मंगाया,
काहे लगाया इस अकाउंट का खेला
जिसमें लगाया जीएसटी का मेला,
बनके सी.ए. तो मैंने अपनी नींदे है गंवाई,
काहे को जीएसटी लगाई,
तूने काहे को जीएसटी लगाई।
बलखाती तभी एक सुंदरी पधारी,
रूठ कर बोली कैसी सरकार यह हमारी
जीएसटी में देखो भाव कितना बढ़ाया,
मोलभाव भी कहीं काम ना आया
मोल भाव बिना यह दुनिया हमको रास नहीं आई।
काहे को जीएसटी लगाई
तूने काहे को जीएसटी लगाई।
भारत के प्रभु तुम्ही गिरिधर नागर हो
बनिया हो सच्चे तुम्ही चौकीदार भी तुम ही हो,
योजनाएं देखो तुमने कितनी बनाई,
भारत ने है पाई कितनी ऊंचाई
चोर गद्दारों की भी तुमने बैंड है बजाई...
अच्छा है जीएसटी लगाई तूने कैसी ये जीएसटी लगाई..
