STORYMIRROR

Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Comedy Children

4  

Amit Singhal "Aseemit"

Abstract Comedy Children

आम

आम

1 min
254

हर साल झुलसती गर्मियों में बस खाते हुए फल आम।

आराम से गुज़र जाते हैं मेरे सुबह, दोपहर और शाम।


लंगड़ा, चौसा, हापुस, तोतापुरी, हिमसागर, दशहरी।

केसर, बादामी जैसी बहुत सी किस्में हैं स्वाद से भरी।


आम को खाने के तरीके भी हैं लाजवाब और ख़ास।

चाहो तो ऐसे ही चूस लो, अगर कोई न हो आस पास।


चाहो चाकू से काटकर टुकड़े करके मज़े से खा लो।

चाहो तो दूध में मिलाकर बढ़िया मैंगो शेक बना लो।


आमरस और आमपना के स्वाद का कोई जवाब नहीं।

आम के अचार का स्वाद न लें, ऐसा कोई सवाल नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract