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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Comedy Action Classics

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Comedy Action Classics

मंजिल

मंजिल

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उड़ान के पंख लगे, मंजिल होगी पास,

अपनी मंजिल पाकर, जन आये रास,

आगे बढ़ते रहो, जब तक तन में सांस,

एक दिन देखना, पहचान बनेगी खास।।


मेहंदी रचाई हाथों पर, किसी की चाहत,

शकुन मिला भारी, मिली जन को राहत।

कभी मंजिल भी मिल जाये इसके सहारे,

कभी जुदा हो जाते हैं अपने और प्यारे।।


जो अगर साथ न चलोगे, मंजिल हो जा दूर,

थके हो से लगेंगे, मंजिल तक हो चकनाचूर।

अपनी मंजिल को हर मुसाफिर, करता पूरी,

पहुंचते जब मंजिल पर, दाता का मिलेगा नूर।।


यूं तो सफर तय करता, जगत का हर इंसान,

पर मंजिल पर कैसे पहुंचे, निर्भर है भगवान।

नेक किये का फल नेक है, कहते सारे संत,

बुरे कर्म का अंत बुरा, जन का बुरा हो अंत।।


जो साथ चलोगे नहीं तो, कोई यहां न पूछेगा,

एक एक करके गिरोगे, जमाना तुमको लूटेगा।

आओ अब तो सबक ले, मिलक चलेंगे हम,

मंजिल लगेगी पास तो, मिट जाएंगे सब गम।।


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