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मिली साहा

Comedy

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मिली साहा

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टमाटर को चढ़ा घमंड का बुखार

टमाटर को चढ़ा घमंड का बुखार

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बीस रुपए किलो का टमाटर, अचानक एक सौ बीस हो जाए,

तो बोलिए इन टमाटरों का अहंकार आखिर कैसे ना बढ़ जाए।


लाल-लाल टमाटर जी को आजकल, चढ़ा है घमंड का बुखार,

कीमत जब से बढ़ी इसकी चहुंँओर चर्चे इसके हो रहे बेशुमार।


रंग बिरंगी बाजारों में सजी सब्जियांँ भी निहार रही टमाटर को,

अमीरों के घर ही जाएगा अब तो ये आलू कह रहा है मटर को।


टमाटर हेकड़ी दिखा रहा ऐसे जैसे बैठा किसी शाही दरबार में,

आते जाते लोग भी उसी को देख रहे हैं सब्जियों की कतार में।


किलो किलो जो खरीद कर ले जाते थे खरीद रहे वो पाव भर,

आसमान चढ़ी कीमत टमाटरों की भारी पड़ रही अब जेब पर।


ले जाया जाता है टमाटर महाराज को घर, बड़ी शान शौकत से,

एक-एक टमाटर संभालकर रखा जाता फिर बड़ी हिफाज़त से।


ऊपर से यह डर सताए कहीं कोई पड़ोसी मांग कर ना ले जाए,

इंसानों की ऐसी हालत देख, लाल टमाटर हंँस-हंँसकर इतराए।


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