शीर्षक-कविता क्या
शीर्षक-कविता क्या
सात सुरो का गान है कविता।
माँ की लोरियों में बहता ममता
का अमृतपान है कविता।
कल- कल करती अविरल बहती,
गंगा की पावन धारा सा गूंजता
पावन गीत महान है कविता।
सात समुन्द्रों की गहराई,हिमालय
पर्वत की ऊंचाई, गूंज रहा जो हर पल सांसो में,
धड़कन का वो साज है कविता।
प्रेम है कविता, प्यार है कविता,
प्रकृति का श्रृंगार है कविता।
सूरज की किरणों सी उज्ज्वल,
चांद की चाँदनी सी शीतल,
तारों से सुसज्जित आसमान
में सुंदर चमकीला शाल है कविता।
पक्षियों का चहचहाना,
कोयल का गुनगुनाना,
बच्चों का खिलखिलाना और
माँ का मुस्कुराना है कविता।
वीरों का शौर्यगान है कविता।
वीरांगनाओ का सम्मान है कविता।
शब्दो की तुकबन्दी नही है
शौर्य गाथाओं का महाप्राण है कविता।
किसान के लहलहाते खेत हैं कविता।
रेगिस्तान की रेत है कविता।
प्रकृति का उपहार है कविता।
हास्य है व्यंग है मित्रों का संग है,
इंद्रधनुष के रंग है कविता।
विरहा की सुनी सेज है कविता,
सूरवीरों का तेज है कविता।
आजादी के गीत हैं कविता
और मीरा की प्रीत है कविता।
पेड़ो की हरियाली है कविता
जीवन मे खुशहाली है कविता।
गिरधर की मुरली है कविता
राम की मर्यादा है कविता।
भोलेनाथ की भस्म है कविता
और लेखक की कलम है कविता।