गुलाम
गुलाम
भरी महफिल में बनाया
तुुमने मुझेे बोर, फिर भी
बजाया मैंने ढोल जोर।
क्योंकि मैं तुम्हारा गुलाम हूँ,
तुम मेरे आका हो।
जो भी तुम हुक्मोगे
सब मैं मेरे सर आँँखों
अगरतर नहीं मानी तो
तुम मुझे सज़ा देेना।
सज़ा भी नहीें मानी तो
मेरा सर कटवा देना
मगर अगर सर ना कटी तो
समझ लेना सर धड़ सेे
फेविकोल से चिपका है
ओ मेरे आका।