वो मैं
वो मैं
बात बहुत पुरानी है,
समझो एक कहानी है।
एक लड़की थी छोटी सी
मन की बहुत भोली सी।
खो गई समय के झूले में,
दुनिया के इस मेले में।
उसकी याद सभी को है,
मुझे भी याद वो आती है।
कुछ लोगों नेे उसेे ढूँढ लिया,
अपने आंगन में सजा लिया।
पर मैैंने कभी ना माना ये
कि पाया कभी किसी ने उसे।
नहीं हो सकती है कोई
वो छोटी-भोली सी लड़की।
जो मेरे ही आंगन में
कभी खेला करती थी।
बेजान शरीर को जिसकी
वीराने आंगन मेें अपने
मैंने खुद ही दफनाया था।

