आंखें फ़िर ढूंढती हैं जिन्न को कान बेचैन हैं सुनने को 'क्या हुकम है आका' आंखें फ़िर ढूंढती हैं जिन्न को कान बेचैन हैं सुनने को 'क्या हुकम है आका'
अपने सारे मुश्किल काम, पल भर में करके आ जाता। अपने सारे मुश्किल काम, पल भर में करके आ जाता।
कठपुतलीयों के खेल से तो सभी वाकिफ है लेकिन आजकल के कुछ इन्सान भी आकाओं के हुक्म पर चलनेवाले कठपुतले ... कठपुतलीयों के खेल से तो सभी वाकिफ है लेकिन आजकल के कुछ इन्सान भी आकाओं के हुक्म ...
समझ लेना सर धड़ सेे फेविकोल से चिपका है ओ मेरे आका। समझ लेना सर धड़ सेे फेविकोल से चिपका है ओ मेरे आका।
अगर शब्दो के पंख होते तो दुनिया में हम न होते। अगर शब्दो के पंख होते तो दुनिया में हम न होते।