जादुई जिन्न
जादुई जिन्न
बहुत पुरानी बात है,
एक था जादुई जिन्न।
आका आका करता रहता,
वह था सबसे भिन्न।
बहुत प्यार से उस आका ने,
नाम रखा था गोपी।
तोहफे में आका ने दी थी,
उसको एक सुंदर टोपी।
चमकीला लिवास था उसका,
सर पर चांद सी टोपी।
बादल में छुप जाता जाकर,
आका कहता आजा गोपी।
आसमान से तीव्र गति से,
बादल बनकर आता गोपी।
छुप जाता आकर चिराग में,
आका चिराग की करता थोपी।
जब भी आका बाहर जाता,
साथ में गोपीचंद भी जाता।
अपने सारे मुश्किल काम,
पल भर में करके आ जाता।
