Rampratap Bishnoi 29
Abstract
दर्द दो तरह के होते हैं
एक आपको तकलीफ देता है!
और एक आपको बदल देता है..!
सुखी परिवार ज...
तुम हो मेरा प...
चॉकलेट डेबूढ़...
मोहब्बत
घमंड
विश्व बंधुत्व
हर रिश्ता प्य...
दर्द
बड़ी सोच रखें...
प्रार्थना वं...
रिश्ते- नाते बनने का, सिलसिला बढ़ता गया।। रिश्ते- नाते बनने का, सिलसिला बढ़ता गया।।
जिन्दा रहे लोकतंत्र हमारा, हम जरूर मतदान करें।। जिन्दा रहे लोकतंत्र हमारा, हम जरूर मतदान करें।।
एक किनारे पर अंकूर फूटा, दूजे किनारे पर हो गई विलीन। एक किनारे पर अंकूर फूटा, दूजे किनारे पर हो गई विलीन।
मैं ही तो शिव जटा से निकला शुद्ध पानी हूं, मैं तो खुद की ही नई कहानी हूं।। मैं ही तो शिव जटा से निकला शुद्ध पानी हूं, मैं तो खुद की ही नई कहानी हूं।।
अंधेरों ने रोशनी से दोस्ती कर ली 'सुओम'। खोता जाता तू पहचान, समझता ही नहीं।। अंधेरों ने रोशनी से दोस्ती कर ली 'सुओम'। खोता जाता तू पहचान, समझता ही नहीं।।
मेरा प्रत्येक शब्द, मेरी कला में इज़ाफत का आफ़ताब है, जो समझ सको तो पढ़ लो. मेरा प्रत्येक शब्द, मेरी कला में इज़ाफत का आफ़ताब है, जो समझ सको तो पढ़ लो.
नारी सृष्टि की अनमोल रतन है। जहाँ न होती नारी वहीं पतन है। नारी सृष्टि की अनमोल रतन है। जहाँ न होती नारी वहीं पतन है।
भाव के अभाव का है सम्मान जानकी। भाव के अभाव का है सम्मान जानकी।
जब तक न तुम्हें निहार ले ये अपने ही अंधेरों में सिमटी रहे। जब तक न तुम्हें निहार ले ये अपने ही अंधेरों में सिमटी रहे।
आते हो सपने मे मेरे तुम कभी हक़ीक़त मे भी आ जाया करो.. आते हो सपने मे मेरे तुम कभी हक़ीक़त मे भी आ जाया करो..
मैं फिर उन गलियों से गुजरने चली हूँ। मैं फिर उन गलियों से गुजरने चली हूँ।
सिखाने वाले बहुत सीखता रोज नई लेकिन लगता बामन कुछ भी जानता नहीं।। सिखाने वाले बहुत सीखता रोज नई लेकिन लगता बामन कुछ भी जानता नहीं।।
जीवन का यह बसंत राजा नव कोपलों में नव कालिकाएँ खिलने लगी है मधुमास में। जीवन का यह बसंत राजा नव कोपलों में नव कालिकाएँ खिलने लगी है मधुमास में।
गुलिस्तां में एक, आशियाना देखने जो लगा। हार्दिक अपना वहाँ, घर नया हैं तेरा बनाना। गुलिस्तां में एक, आशियाना देखने जो लगा। हार्दिक अपना वहाँ, घर नया हैं तेरा ब...
बहुत कम लोग होंगे जो प्रसन्न होंगे बेटी के पैदा होने पर बहुत कम लोग होंगे जो प्रसन्न होंगे बेटी के पैदा होने पर
मैंने नफा-नुकसान न सीखा था इसलिए पाया कम ज़्यादा गवाया मैंने नफा-नुकसान न सीखा था इसलिए पाया कम ज़्यादा गवाया
धिक्कार है उन दिलों को आज, जिनमें संवेदनाओं की ही जगह नहीं धिक्कार है उन दिलों को आज, जिनमें संवेदनाओं की ही जगह नहीं
यूं कभी याद जब आती उसकी, घूम आता हूं उसका दर। यूं कभी याद जब आती उसकी, घूम आता हूं उसका दर।
पसीने की स्याही को सूखने नहीं देना है तदबीर से अपनी तकदीर को बदलना है। पसीने की स्याही को सूखने नहीं देना है तदबीर से अपनी तकदीर को बदलना है।
वक्त कुछ यूं गुजरा तेरे जाने के बाद। सुइयां टिक-टिक करती रहीं घड़ी की ओर सफ़र थम गया। वक्त कुछ यूं गुजरा तेरे जाने के बाद। सुइयां टिक-टिक करती रहीं घड़ी की ओर सफ़र...