घमंड
घमंड
घमंड हमारे अंदर छुपा हुआ भाव है
जो भावनाओं पर हावी हो जाता है
जैसे दौलत का घमंड ही देख लीजे
जिसके पास दौलत होतीं है वो दो,
कदम आगे और दो गज पैरो को
ऊपर पर रखकर चलता है और,
गरीब को पैरो तले कुचल देता है
घमंड एक अदद मुखौटा है जो
खुद पर हावी जल्द ही हो जाता है,
किसी को दौलत का तो किसी को
शोहरत का किसी को अपने रंग रूप
का तो किसी को कामयाबी का घमंड
कहते है न जब कभी ठोकर लगती है,
तब उतार देता है पूरे चेहरे पर चमक,
नूर, और भर देता है रिश्तों में कड़वाहट
कामयाबी की सीढ़ियों से एक दिन तेरा
भी, पैर फिसलेगा तेरा घमंड ही तुझे,
ही तुझे एक न एक दिन धूल चटवाएगा।