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Abha Chauhan

Abstract Comedy Tragedy

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Abha Chauhan

Abstract Comedy Tragedy

हमारे नेता

हमारे नेता

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ईद के चांद की तरह नजर आते हैं,

बड़े-बड़े यह सपने दिखलाते हैं।

सबके अरमानों के साथ खेल जाते हैं,

ये लोग ही तो हमारे नेता कहलाते हैं।


चुनाव के समय हरदम दिखते हैं आसपास,

तब अंदाज होता है इनका कुछ खास।

वोट मांगने के लिए बड़े भोले बन जाते हैं,

ये लोग ही तो हमारे नेता कहलाते हैं।


चुनाव जीतने के बाद नहीं होते इनके दर्शन,

इनको देखने के लिए तरस जाते हैं नयन।

तब यह अपना असली रंग दिखाते हैं,

ये लोग ही तो हमारे नेता कहलाते हैं।


अपने दिए गए वादे कभी नहीं करते पूरे,

रह जाते हैं जनता के सपने यूं ही अधूरे।

सारी योजनाएं यह आसानी से भूल जाते हैं,

ये लोग ही तो हमारे नेता कहलाते हैं।


पांच वर्ष पूरा होने पर फिर होते हैं प्रकट,

क्योंकि फिर आता है इन पर चुनावी संकट।

फिर से अपनी मीठी मीठी बातों से बहलाते हैं,

ये लोग ही तो हमारे नेता कहलाते हैं।

जी हां, ये लोग ही हमारे नेता कहलाते हैं।


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