बेरोजगार
बेरोजगार
अखबारों में छपे किस्से हजार
कहीं कोई दुर्घटना में घायल
और कहीं हुआ है प्यार का वार
कई लटके हैं , कई भटके हैं
कइयों के हैं बेड़ा पार
कुछ के खाली पेट पड़े हैं
कुछ बैठे हैं बेरोजगार
याद करो कहां फूके थे
कहां किया था पहला प्यार
छोड़ा था जो लेक्चर अपना
छोड़ा था जो वो वेबिनार
उसी का दुख ये भोग थे हो
निठल्ले बैठे बेरोजगार।