Anshika Awasthi
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ये कशमकश, ये उलझने
सुलझानी अभी बहुत हैं
ये दिल - ए - जमीन
अभी बंजर ना हुई ।।
अतिथि देवो भव
मां
बुलबुल
गुमान
बेरोजगार
याद
मुसाफिर
जमीन - ए -दिल
अमर बलिदान
प्रभुत्व