मुसाफिर
मुसाफिर
देशभक्ति के आलम में,
रणभूमि में सर कट जाना ,
ओ वीर मुसाफिर उठ जाग आज !
इस देश के खातिर मर जाना।।
भय के इस मंजर में
अब वीर ज्योति का जल जाना,
कुर्बान हुए तो शान से होंगे
यहां नाम अमर अब कर जाना,
ओ वीर मुसाफिर उठ जाग आज !
इस देश के खातिर मर जाना।।
होंगे टुकड़े अब दुश्मन के
तुम पुष्प की माला लेे आना,
सर उठा शान से तिरंगे का
अब कफ़न ओढ़ कर सो जाना ,
ओ वीर मुसाफिर उठ जाग आज !
इस देश के खातिर मर जाना।।
रख याद में मेरी सर की टोपी
तुम , सम्मान गर्व से भर जाना,
उन अश्रु भरी आंखों के अंदर
त्रि- रंग समाकर सो जाना,
ओ वीर मुसाफिर उठ जाग आज !
इस देश के खातिर मर जाना।।2