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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy

भूतों से बात

भूतों से बात

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भूतों से बातें करने की ख्वाहिश तो बहुत है 

मगर भूतों का रिकॉर्ड देखकर डर भी बहुत है 

मैं भी किसी भूत से मिलना चाहता हूं 

"भूत कैसे बना" उससे जानना चाहता हूं । 

भूत कितने प्रकार के होते हैं , बता मुझको 

ये उल्टे पांव कैसे भागते हैं, सिखा मुझको 

सोचते सोचते मैं यूं ही चला जा रहा था 

मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरे पीछे आ रहा था 

मैंने पीछे मुड़कर देखा तो चीख निकल गई 

भूत भूतनी की एक जोड़ी मुझे दिख गई 

मैंने कहा "सड़क पर रोमांस करते शर्म नहीं आती ? 

इतनी भीड़भाड़ में भी तुम्हें खाली सड़क कैसे मिल जाती ? 

तुम लोग वाकई भूत भूतनी हो या मेकअप किये हो 

या फिर हॉलोवियन कॉस्ट्यूम का विज्ञापन किये हो" 

मेरी बात सुनकर उन्हें बड़ा गुस्सा आया 

बोले "प्यार का दुश्मन जमाना , इसीलिए ये भेष बनाया 

क्या इंसान को सड़क पर कचरा फेंकने में शर्म आती है ? 

कोख में ही बच्ची को मार डालने में क्या लाज आती है 

बच्चियों से हैवानियत करते वक्त क्या डरते हो 

रिश्तों का खून करते वक्त क्या कभी सोचते हो 

झूठ, बेईमानी, मक्कारी, दगाबाजी क्या नहीं करते 

अपने ही देश के खिलाफ षडयंत्र करने से भी नहीं चूकते 

हम तो भूत भूतनी हैं , "ईमान" से बहुत डरते हैं 

तुम्हारी तरह जिसमें खाते उस थाली में छेद नहीं करते हैं 

हम तो खुद जमाने से सताए हुए हैं औरों को क्या सताएंगे 

सोचा कि जीते जी "प्रेम नगर नहीं बसा पाये तो क्या हुआ

भूत भूतनी बनकर प्रेम का एक आशियाना बनायेंगे 

मगर प्यार करने लायक कोई जगह ढूंढ नहीं पाये 

भूत भूतनी बनने के फैसले पर हम बहुत पछताये 

इंसान से बड़ा भूत, प्रेत और कौन हो सकता है 

पिशाच भी इंसान के कारनामों से थर थर कांपता है 

भूत तो खुद डरे हुए हैं वे किसी को क्या डरायेंगे 

जो खुद "मरे" पड़े हैं वे मौत का डर क्या दिखलायेंगे 

खोटे कर्म करने के कारण ही तो भूत बनते हैं 

"कोई सज्जन आदमी मिल जाये तो बेड़ा पार हो जाये"

इसलिए सड़क पर हम लोग उसका इंतजार करते हैं

जब ये तलाश पूरी हो जाती है

तो हमारी भी फिर "सद्गति" हो जाती है" 

भूतों की बात सुनकर बड़ा अच्छा लगा 

भूत तो इंसान से भी ज्यादा सच्चा लगा. 


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