ओ री वुमनिया ( हास्य कविता )
ओ री वुमनिया ( हास्य कविता )
ओ री वुमनिया,
अजब गज़ब हैं तेरी दुनिया,
नैनों में भरे हैं आंसू,
पर गुस्सा भी है बड़ा ही धांसू,
होठों की मुस्कुराहट, नैन कटार,
वार करने का है सबसे बड़ा हथियार,
प्यार का जवाब प्यार से देती,
जो गुस्सा दिखाए उसकी बोलती बंद कर देती,
कितनी भी थक जाए काम से,
पर शॉपिंग के नाम ही से एनर्जी आ जाए,
ब्यूटी पार्लर बड़ी फेवरेट जगह इनकी,
फुल मेकअप करवाए चाहे जितना समय लग जाए,
शादी में सात फेरों के सात वचन,
पर शादी के बाद पति बेचारा सुनता सिर्फ प्रवचन,
धीरे-धीरे पति बेचारा हो जाता इसका आदि,
वुमनिया के ताने सुनने को ही लिया है इसने
जनम,
खाने में जो कभी नखरे दिखाए पति,
तो समझो उस दिन उसकी शामत आ जाती,
सन्नाटा छा जाता घर में बोले सिर्फ करछी, बेलन,
पति जो मुंह खोले तो अपनी वाणी से ही घायल कर देती,
कभी जो गलती से पति दे दे आदेश,
कांप जाता पति आंखों ही आंखों में दे देती ऐसा संदेश,
तो समझ गए वुमनिया के सामने ज्यादा ना करो होशियारी,
मुंह खोले बिना ही सुनो ध्यान से प्रवचन इसी में है समझदारी,
ज्यादा उछालोगे तो नाक में कर देगी दम,
पति को बकरा बनाने के लिए ही तो लिया है वुमनिया ने जनम,
आज की वुमनिया को गलती से भी ना कहना अबला,
इनके क्रोध की चपेट में जो आ गए तो बजा देगी तबला।