प्यारी नोकझोंक
प्यारी नोकझोंक
पत्नी वोली पती से प्राणनाथ
मुमताज की याद मे शाहजहां ने
सुन्दर बनवाया ताज ।
आप भी हमारे लिए कुछ करिए।
पती ने कहा बुद्धू वो था शहंशाह,
यहां तो खर्चे मे निकल जाती है आह।
और हां उसकी अनेक वेगमे भी थी,
उसके बारे मे भी कुछ विचार करिए।
पत्नी बोली अजी छोडो मैने तो,
यूं ही आपसे कह दिया ।
सच सच बताओ हमारी कसम ,
तुमने किसी को दिल तो नही दिया ।।
एक को इस महगाई मे संभालना,
अग्नि परीक्षा देने सा मुश्किल है ।
हे मेरी सहचरी मै तो गरीब ही भला ,
मुझे शहंशाह नही बनना है ।।
अब बताओ क्या तुम्हे मुमताज बनना है ।
नहीं नहीं मैं सौतेने नहीं सह सकती।
मुझे नही चाहिए ताज मैं तो
आप की पनाह मे ही खुश हूं ।।