STORYMIRROR

Sayandipa সায়নদীপা

Comedy

4  

Sayandipa সায়নদীপা

Comedy

बरसात की एक रात में

बरसात की एक रात में

1 min
300

काली बरसात की एक रात में

हम सब लोग बैठें थे साथ में,

लालटेन ज्वल रहा था बीच पर

कड़क रही थी बिजली कड़कड़।

दादाजी बोल रहे थे कहानी एक

बिषय था उनका भूत ओर प्रेत,

डर लग रहा था हमे जम कर

फिर भी बैठे थे दिल थाम कर।

अचानक आयी एक आवाज

हमने सोचा भूत का फरियाद,

डरके के मारे सिमट गये हम

सोचा सब हो जायेगा खतम।

ऐसे में अंदर आयी मा हमारी

कहा नही है ये डरने की बारी,

था बस वो एक हवा का झोंका

जिसने दिया हमे है ऐसा चौंका।


भूत प्रेत जैसा असल में कुछ नही होता

ये बस है हमारा अपना डर मन में बैठा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy