वादे...
वादे...
वो हमेशा कहता रहता था,
उसकी याददाश्त ज़रा कमज़ोर है।
इसलिए वह हर बात अपनी डायरी में
लिख लिया करता था।
मुझसे किए सारे कसमें-वादे भी उसने
डायरी में लिख छोड़े थे।
फिर भी वादे निभाना भूल गया।
न, न उसका कोई कसूर न था।
वादों के लिए तो वो मर मिटता।
पर वो कमबख्त वादों की डायरी
वही खो गई, तो बेचारा क्या करता ?