स्त्री के आँसू
स्त्री के आँसू
एक स्त्री के आँसू, बहुत से
गूढ़ रहस्य समेटे रहते हैं।
ये कभी भी बरस पड़ते हैं।
चाहे माँ की बेबसी हो,
पिता की नाराजगी हो,
बच्चों की जिद हो,
कोई जीत या हार हो,
समाज की ताड़ना हो,
रिश्तेदारों के कटु वचन हों,
प्रियतम से मधुर मिलन हो,
सखियों की ठिठोली हो,
या लोगों की कड़वी बोली हो।
सुख-दुख,प्रेम,क्रोध,वात्सल्य,
घृणा,भय,श्रृंगार,जुगुत्सा
कोई भी रसानुभूति हो।
एक स्त्री के आँसू बह निकलते हैं,
और स्वयं स्त्री भी नहीं जानती,
क्यों,ये आँसू उसके वश में नहीं रहते हैं?
शायद इसलिए क्योंकि ये आँखों से नहीं,
स्त्री के दिल से बहते हैं... शायद.........