जब प्यार होता है
जब प्यार होता है
अनायास ही ये व्यर्थ सा जीवन, नेमत लगने लगता है।
लोगों का कड़वा स्वभाव अमृत सम लगने लगता है।
वाहनों का कानफोड़ू स्वर भी मधुर गीत सुनाई देता है।
तप्त रेगिस्तान सा मन भी उपवन सा खिल उठता है।
हर दिन होली और हर रात दीवाली का पर्व लगता है।
उसका नाम लेने से ही मेरा रोम-रोम महक उठता है।
दीदार-ए-यार को दिल रात- दिन मचलता रहता है।
उसके इंतजार में एक-एक पल सदियों सा गुजरता है।
उसकी नम आँखें देख, मेरे नयनों से नीर बरसता है।
उसकी बस एक झलक को ,दीवाना दिल तरसता है।
कोई दवा काम नहीं आती,जब प्रेम - रोग लगता है।
खिल जाता है तन-मन जब प्यार किसी से होता है।