कोरोना तेरे सितम
कोरोना तेरे सितम
कोरोना अभी कितने सितम तू ढायेगा
सारे ही संसार को कितना रुलायेगा
दुनिया तो तेरी करनी से घायल है
मुझको भी औकात मेरी बतलायेगा?
मेरी प्रिय सखी के पुत्र की शादी थी
कबसे उत्साहित थी मैं वहाँ जाने को
कितनी तैयारी पहले से कर रखी थी
सखी को अवसर मिला मेरी जगह दिखाने को?
कितने मशवरे दिये थे मैंने सहेली को
आहत हुयी जब न्योता तक भेजा न गया
क्यों पचास लोगों की सूची में नाम नहीं?
क्या मेरा उत्साह तुझसे देखा न गया?
वैसे तो बड़े अपनेपन का दम भरती
मुझसे बिना पूछे कोई काम नहीं करती
जाने दो कोरोना, तुझे बताऊँगी
विवाह सालगिरह पर मैं न बुलाऊँगी
कितने जतन से साड़ी छाँट के रखी थी
&nb
sp;मैचिंग ज्यूलरी मैंने मँगा कर रखी थी
श्रृंगार प्रसाधन भी कब से एकत्र किये
केशों के लिये लड़ियाँ भी मँगवा रक्खी
इनकी बात तो चलो मैं फिर भी जाने दूँ
पर जो जड़ाऊ मास्क मैंने मँगवाये थे?
साड़ी से किस हद तक मैच वह करते थे
क्या होगा उनका वो नये फैशन के थे
सोचा था पहनूंगी सबको जलाऊँगी
बार बार चेहरे पर हाथ लगाऊँगी
एक ही झटके में सपने सब बिखर गये
हम समारोह में जाने को ही तरस गये
मास्क पुराने फैशन के हो जायेंगे
यदि कोरोना गया, काम न आयेंगे
पहले बता देती कि मुझे न बुलायेगी
धन की ये बरबादी तो न करती मैं
पर वह तो मन ही मन मुझसे जलती है
पहले ज्ञात होता तो सबक सिखाती मैं।