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Vishnu Saboo

Comedy Drama Tragedy

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Vishnu Saboo

Comedy Drama Tragedy

दल बदल

दल बदल

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दल बदल के आज एक नेता।

उधर से इधर आ गया।।

कल तक था जिनसे गालियों का रिश्ता।

आज पानी में पानी समा गया।।

कल तलक इधर वाले भी उसके।

साये को भी अधर्मी बुलाते थे।।

यहाँ आते ही जैसे कि उसे।

किसी गंगाजल में नहला दिया।।


कल तक तो वो भी इनके।

हर काम मे दोष ढूंढा करता था।।

हर फैसले पर पैर पटक कर।

संसद से "वाक आउट" करता था।।

आज जाने कैसे उसे अचानक।

आत्मज्ञान हो आया है।।

अपनी सोच को गलत बोलकर।

वो शरण मांगने आया

है।।


देख तमाशा ये दल-बदल का।

मेरा सर चकरा जाता।।

आखिर ये माजरा क्या क्या है।

मेरे समझ में नहीं आता।।

कैसे करें फैसला ये की।

कल का गलत आज सही कैसे ?

कल का देशद्रोही आज।

देशभक्त बन गया कैसे ?


चक्कर है बस सत्ता का।

बस उसपर ही सब सही-गलत।।

उधर की कुर्सी छीन गई तो।

इधर खोल दी राज की परत।।

जाने कब ऐसे मौकापरस्तों को।

हम सब वोटर पहचानेंगे।।

जाने कब अल्पलाभः को तज।

देश के हित में सोचेंगे।


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