पाप -पुण्य
पाप -पुण्य
वो जो लोग मुक़द्दर के मारे हैं
ऐसे लोग जमाने में कई सारे हैं
सिर पर छत हैं नहीं जिनके
आसमां ही चद्दर, छत है सितारे ।
इल्म नहीं उन्हें की
क्या होगा अगले पल उनके साथ
खाने को निवाला
भी लगेगा या नहीं लगेगा उंनके हाथ ।
फटे चीथड़ों से ही
अपना तन ढक लिये
जो मिला पहन लिया
बिना माथे पर शिकन किये ।
पैरों में पड़े हो छाले
या कोई कांटा चुभा
नहीं दवा लगाने को
रेत लगा कर जख्म भरा ।
बड़े-बड़े मंदिरो में
दान करते हैं हम
कोई जरूरतमंद आये
नाक भौ सिकोड़ते हम।
चलो ये दोहरा चरित्र मिटाये
किसी मुफ़लिस को गले लगाएं
इसीसे खुश होगा वो ईश्वर भी
चलो कुछ पुण्य कमाया जाए ।