"जिनको क़द्र नही फूल की"
"जिनको क़द्र नही फूल की"
जिनको कद्र नही है,फूल की
वो क्या जाने पीड़ा शूल की
जिन्हें कद्र होती है,वसूल की
वो बन जाते मूरत,धूल की
जिन्हें मिली,चीजे मुफ्त की
वो क्या जाने कीमत,गुल की
जो देखते बाहरी,आवरण को
वो क्या जाने कीमत मूल की
जो करे पूजा कागज फूल की
जिन्हें कद्र नही है,फूल की
वो क्या जाने,पीड़ा शूल की
वो लोग करते बंदगी,रसूल की
जिन्हें लगे,घट सत्य मौजूदगी
वो करते यहां गलती,भूत की
वो न पाते,रोशनी फिर शूर की
जो न करते गलती,फ़िझुल की
जो सोच रखते सदा सुदूर की
वो न पाते आफत बबूल की
उन्हें मिलती चीजे,कोहिनूर की
जो गलती कबूल करते,भूल की
वो बनते पवित्र चीज ताम्बूल की
जिन्हें कद्र खुद सत्य वसूल की
जो लोग यहां पर,पर पीड़ा जाने
वो लोग लिखते यहां,अफसाने
जो करते,कद्र यहां एक शूल की
वो ही फैलाते,यहां गंध फूल की
