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Meena Singh "Meen"

Inspirational

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Meena Singh "Meen"

Inspirational

जिंदगी फिर चल पड़ी है...

जिंदगी फिर चल पड़ी है...

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ज़िन्दगी फिर चल पड़ी है,

जाने कैसी चाह में,

कहाँ मुझे मालूम, कब, क्या,

आएगा किस राह में।


तय मगर ये कर लिया है,

प्रण ये मैंने दृढ़ किया है,

न रुकूँगी, न थकूँगी,

मंज़िलों की थाह में।


खूबसूरत रहगुज़र पर चलूँगी,

मैं तो बाँह थामें हौंसलों की,

समझ चुकी हूँ कुछ भी नहीं है,

भूत और भविष्य की परवाह में।


वर्तमान ही सत्य है ये मान लिया है,

अविरल आगे बढूँगी ठान लिया है,

अब तो बस अपने दिल की सुनूँगी,

खुशी-गम, जीत-हार की आह-वाह में।

छूट कर फिर न मिलेगा वक्त जैसे,

टूट कर फिर न खिलेगा पुष्प जैसे,

क्या छोड़ूँ, क्या समेट लूँ सोचकर,

अब नहीं जलूँगी मोह की दाह में।


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