एहसास-ए-लफ्ज़...
एहसास-ए-लफ्ज़...
मन की गहराई में कहीं दर्द का इक सैलाब दबाया है,
कहीं डूब न जाए सोच किसी को वहाँ जाने नहीं देते।
मन करता है कई बार मेरा छोड़ जाए ये दुनिया यारों,
कुछ फ़र्ज़ ऐसे हैं हम चाहें भी तो ये रूठ जाने नहीं देते।
कुछ रिश्तों ने दिल को हमारे कल इस कदर दुखाया था,
सबक कीमती हैं ज़िन्दगी के खुद को भूल जाने नहीं देते।
जिन्दगी बदलती रही है हमसे जरूरत अपनी बारहा ,
हम भी ज़िद्दी हैं यकीनन जीतने के इसे बहाने नहीं देते।
इक नया खेल, फिर इक नई हार-जीत का किस्सा है,
हम खिलाड़ी हैं इस नशे में खुद को डूब जाने नहीं देते।
वो चार लोग जाने क्या-क्या कहते हैं यह हम क्यों सोचें,
खुद में खुश है 'मीन' इसे खुशी बज़्म के तराने नहीं देते।
